जब से इस्लाम धर्म दुनिया में आया हैं , तब से ही इस्लाम को बुरा कहने वाले भी पैदा हो गये हैं।
इस्लाम धर्म से चिढने वालों की हर वक़्त यही कोशिश रहती हैं कि किसी न किसी तरीके से इस्लाम को बदनाम किया जाए।
और वे इस्लाम धर्म के प्रति अलग अलग प्रकार की भ्रामक बातें फैलाते रहते हैं।आखिरकार वे इस्लाम से चिढते क्यों हैं?
जबकि इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पुजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं। जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं। जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया। अगर ये बात बुरी हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में जरूरी हैं। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेंगा। और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती हैं। अगर ऐसी बात सिखाना गलत हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं। और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है। इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ। अगर विधवाओ को अधिकार देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस मे बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं। समानता की शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो। और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ। पड़ोसी की मदद करना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है। इनसे अपने आप को दूर रखे। अगर समाज में मौजूद बुराइयों को समाप्त करना बुरी बात हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो। और कभी किसी गरीब और अनाथ की बद्दुआ न लेना नहीं तो बरबाद हो जाओगे। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे (नेकियों) अच्छे कामों को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि बुजुर्ग व्यक्ति का सम्मान करना मानों खुदा का सम्मान करने जैसा हैं। अगर तुम जन्नत (स्वर्ग) में जाना चाहते हो तो अपने मा बाप को हर हाल में खुश रखो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे। और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो। बोलों तो सच बोलों, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह हैं जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता हैं।
पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल(उपयोग) करना। और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह(पाप)। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु(पत्थर,कील,) होतो उसे किनारे करना जिससे दुसरो को पीड़ा न हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
इस्लाम कहता है कि अन्जान महिलाओ पर नज़र पड़े तो आँखें नीची कर लो क्योंकी गैर महिलाओ को बुरी नजर से देखना गुनाह(पाप) है। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा घर्म है। ???
आप ही सोचिये के इस्लाम बुरा धर्म है या उसे बुरा केहने वाले लोग बुरे है ?
कुरान सिर्फ मूसलमांन की धार्मिक किताब नही है। कुरान तो हिन्दुस्तान ही नही दुनिया के हर इंसान के लिए, हर समाज के लीये सही रास्ते पे चलने का ओर एक बेहतरीन जिंदगी जीने का रास्ता है।। हर इंसान को कुरान पढ़ना चाहिए ओर उसे समझना चाहिए ।।