इस्लाम के मुताबिक शेयर मार्केट में पैसा लगाना कैसा है

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सवाल: शेयर बाजार में शेयर खरीदना कैसा है और इस संबंध में इस्लाम के क्या हुक्म है? क्या अगर कोई शेयर बाजार में शेयर खरीदता है तो उसकी कमाई हलाल होगी या फिर उसे हराम कहा जाएगा?


शेयर मार्केट में शेयर खरीदने और बेचने के लिए बुनियादी शर्त ये है कि कंपनी किसी हराम कारोबार में शामिल ना हो और उस कंपनी की संपत्तियां और चीजें नकदी रूप में न हों बल्कि कुछ संपत्ति स्थापित रूप में (मुंजमिद) हों। वरना कमी और ज्यादती के साथ उन्हें बेचना मान्य नहीं होगा।

दूसरी शर्त यह है कि क्रय-विक्रय से नफा नुकसान बराबर करके नफा कमाने का लक्ष्य ना हो जिसमें ना तो शेयर पर कब्जा होता है और ना ही कब्जा दिखाई पड़ता है बल्कि सट्टे बाजी की शक्ल होती है जो कि हराम है।

तीसरी शर्त यह है कि शेयरों को बेचने वाले व्यक्ति के पक्ष में डिलीवरी हो चुकी हो क्योंकि डिलीवरी हुए बगैर उन्हें बेचना पूर्व उत्सर्जन (यानी बैय क़ब्ल अल-कब्ज़) मे शामिल है जो कि इस्लाम में हराम है।

चौथी चीज यह भी जरूरी है कि अगर कंपनी का असल कारोबार हलाल है लेकिन साथ में वह कंपनी बैंक से सूदी कर्ज लेती है या अपनी बचत की रकम सूदी अकाउंट में रखकर उस पर सूद वसूल करती है, तो कंपनी में पैसा लगाने या उसमें शामिल होने के लिए जरूरी है कि कंपनी की कुल आमदनी में जितने फीसद सूद हो उतने ही फीसद अपने नफे में से निकालकर सदका करें और उसकी सालाना मीटिंग में उसके खिलाफ आवाज भी उठाए।

इस्लाम और जदीद माशी मसाइल 3/22






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