हिम्मत हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. यहां तक कि असंभव को भी संभव. अब्दुल अलीम ऐसे ही लोगों में हैं. उन्हांेने अपनी कड़ी मेहनत, क्षमता और समर्पण से फर्श से अर्श तक का सफर पूरा किया है. आगे भी बहुत कुछ करना चाहते हैं.
अब्दुल अलीम की कहानी एक ऐसे युवक की है जिसने कभी हार नहीं मानी. अपने आत्म बल से हमेशा अपने पंखों को उड़ाने देने की कोशिश की. उन्हांेने अपने प्रयासों से कई ऊंचाईयां छूई हैं.
फर्श से अर्श तक
अब्दुल अलीम 10 वीं पास कर चेन्नई के एक स्टार्टअप कंपनी में सुरक्षा गार्ड लग गए थे. कंपनी में काम करते उन्होंने एक शानदार ऐप विकसित किया. अपने इस हुनर से उन्होंने न केवल कंपनी के लोगों को प्रभावित किया, समाज में उनके के लिए भी मि’सा’ल बने जो गरीबी का रोना रोते रहते है. आगे बढ़ने के लिए गं’भी’र प्रयास नहीं करते. यह नौजवान अब न केवल अपनी कंपनी जोहो स्टार्टअप में काम करता है. कंपनी के तकनीकी टीम में सॉ’फ्ट’वे’यर डे’वल’प’में’ट इंजीनियर के है’सि’य’त से शामिल हो गया है.
आठ साल का कॅरियर
अपने कॅरियर के 8 वर्षों में, अब्दुल अलीम ने सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ी हंै. बावजूद इसके अपने पुराने दिन नहीं भूले हैं. अब्दुल अलीम ने अपने अतीत को याद करते हुए
सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी कर अपनी कहानी साझा की है.
उन्होंने लिखा, ‘‘मैंने 2013 में केवल 1,000 रुपये के साथ अपना घर छोड़ा था. 800 रुपये की ट्रेन टिकट के साथ शहर आया. दो महीने सड़कों पर भटकने के बाद, सु’रक्षा गा’र्ड की नौकरी मिली.
अ’ल्ला’ह मददगार
काम करने के दौरान एक दिन, कंपनी के एक व’रि’ष्ठ कर्मचारी ने मेरा नाम पूछा और कहा, अलीम! मैं आपके अंदर बहुत कुछ देखता हूं। उन्होंने मुझसे मेरी शिक्षा और कंप्यूटर के बारे में मेरी जानकारी के बारे में पूछा. ‘‘जब मैंने उनसे कहा कि मैंने स्कूल में इस बारे में थोड़ा-बहुत पढ़ा है. तब उन्होंने कहा कि आप अधिक जानना चाहेंगे. मैंने कहा कि हाँ. मेरी हर दिन 12 घंटे की ड्यूटी थी. समाप्त करने के बाद, मैंने उनके साथ काम करना शुरू कर दिया. इस दौरान ऐन का निर्माण किया.
डि’ग्री से बड़ा हुनर
मेरे वरिष्ठ ने मेरा विकसित किया हुआ ऐप कंपनी के प्रबंधन को दिखाया.‘‘ वहां से हरी झंडी मिलने के बाद मेरा साक्षात्कार हुआ. मैं सफल रहा. आज मैंने जोहो में अपने शानदार आठ साल पूरे कर लिए हैं. अब्दुल अलीम के अनुसार, एक डिग्री से अधिक आवश्यकता है हुनर की.