हिंदुस्तान में कोरोना . 20 लाख तक का कोरोनानामा, BY IMTIYAZ KOTHARIYA

 आज आप सबको मुबारक हो , हम सब को आज 20 लाख मिल गए.


2014 के केन्द्रीय चुनाव के प्रचार के दोरान माननीय प्रधानमंत्री श्री ने देश की जनता को ये वादा किया था की अगर वो प्रधानमंत्री बनते हे तो विदेश की बेंको में जो हिंदुस्तान का कला धन पड़ा हे वो वापस लायेंगे और सबके बेंक अकाउंट में 15 लाख रुपये आयेंगे , मगर वो बात तो इसे हो गई जेसे रत गई बात गई उस बात को आज 6 साल से ज्यादा वक्त हो गए , और ना ही कला धन वापस आया और ना ही सबके अकाउंट में 15 लाख आये. एक इंटरव्यू के दोरान तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जी ने यह कहा था की वो सिर्फ एक चुनावी जुमला था. 


दिसंबर 2019 से लेकर आज तक कोरोना महामारी ने पुरे विश्व में कोहराम मचाया हे लेकिन भारत में ये महामारी बहुत देर से आई थी, तक़रीबन फेब्रुअरी महीने में ये बीमारी ने भारत में दस्तक दी थी , तब और उसके पहले हमारी सर्कार के पास पूरा समय था की वो इस बीमारी को भारत के अन्दर तांडव करने से रोक सके, और भारत को इस महामारी से बचा सके.


लेकिन दिल्ही चुनाव, नमस्ते ट्रंप, और मध्यप्रदेश में सर्कार गिराना, शिवराज की शपथ, बस इसी तरह की कामगिरी चलती रही, और फिर मार्च के मध्यान्ह में इस बीमारी ने  भारत के अन्दर अपना असली रूप दिखाना शरू करदिया, और 22 मार्च को जनता कर्फ्यू, और 23 मार्च से 21 दिन के लिए LOCKDOWN, 


और उस 21 दिनके LOCKDOWN के दोरान न सरकार ने ना कोई स्वास्थ्य निति बनाई , और नाही इस महामारी को गंभीरता से लिया. उल्टा इस 21 दिन के LOCKDOWN के दौरान ताली बजाना, थाली बजाना, और दिये जलाना जेसी बिन जरुरी और बेतुकी बातो में लोगो को फसाया रखा.


फिर बारबार LOCKDOWN को बढाया गया. फिर जब बीमारी हाथ से बहार निकलने लगी तो सरकार ने अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए LOCKDOWN खोल दिया. इस दौरान कई सारे मजदुर चल कर अपने घरतक जाने के लिए निकल गए, उनको 5 या 10 KM नहीं बल्कि 2000 KM से भी ज्यादा चलना था लेकिन हालात के मारे और जेब की तंगी के कारण उन्हों ने ये कदम उठाये, कई मजदूरो की इस दौरान मौत हुई, कई मजदुर संक्रमित हुए. लेकिन इस दौरान सरकारसे ज्यादा सोनू सूद जेसे इन्सान ने मजदूरो की मदद की, उनके घरतक पहुचने में मदद की. दूसरी भी कई सस्थाए निकलकर सामने आई. लेकिन सरकार ने ना के बराबर मदद की.


जमात के नाम पर मुसलमानों को भी बदनाम किया गया. मिडिया ने भी मुसलमानों को बदनाम करने में कोई कसर नहीं रखी, कई लोगो ने मुसलमानों को गद्दार करार दिया, कई सरे लोगो ने मुसलमान फेरियो से सब्जी और एनी सामान खरीदना भी बांध कर दिया, कई कई नेता और लोगो ने ये तक कह दिया की मुसलमान जहा दिखे उसे वाही पर मारो. कही जगह बेगुनाह लोगो को मारा गया. फेक न्यूज चलाई गई. हालाकी इस दौरान मुसलमानों ने सबर रखा, मुसलमानों को आतंकी बताया गया, कहा गया की जानबुज कर मुसलमान कोरोना फेला रहे हे. अब सोचने वाली बात ये हे की जिस मुल्क को आज़ाद कराने के लिए जिस कौम ने सबसे ज्यादा क़ुरबानी दी वो कौम उस मुल्क को कैसे बरबाद करने के बारे में सोच सकती हे. और क़ुरबानी वाली बात में नहीं कह रहा वो आपको हिंदुस्तान की असली तारीख पढने पर खुद पता चल जाएगी.


खेर, जब LOCKDOWN खुला उसके बाद कोरोना दस गुना ज्यादा तेजी से फेलने लगा, देखते देखते, हजारो में से लाखो में पहुच गए , इस दौरान सरकार अपने कार्यक्रम करती रही, रमजान में मुसलमानों ने शोपिंग नहीं की, ईद भी नहीं मनाई, फिर बकरीईद के दौरान सरकार ने यह कहा की धार्मिक स्थान पर इकठ्ठा न हो कोरोना फेलेगा. लेकिन ठीक उसके 5 दिन बाद एक मंदिर के शिलान्यास के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी खुद पहुच जाते हे, लेकिन उससे कोरोना नहीं फेलता. 


आज हम 20 लाख पर पहुच चुके हे और अमरीका और ब्राज़ील के बाद तीसरे स्थान पर हे , रोजाना 50000 के करीब केस आ रहे हे. इस हिसाब से 25 अगस्त तक हम 30 लाख तक पहुच सकते हे, मेने शुरुआत में आपको बताया की प्रधानमंत्री साहब ने 15 लाख रुपये देने का वादा किया था, उन्हों ने वादा पूरा किया आज हमें 20 लाख दे दिया. 


मेरे इस ब्लॉग से किसीके दिल को ठेस पहुची हो तो में दिलसे माफ़ी मांगता हु, मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओ को ठेस पहोचाना नहीं पर आप तक सच पहुचाना था, अगर कोई भूल हुई हो तो अपना छोटा भाई समजकर माफ़ कर देना.

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