बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम
अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहु अल हय्युल कय्यूम ला तअखुजुहु सिन्नतुं वला नौम लहू मा फ़िस्सामावाती व मा फिलअर्द मन जल्लज़ीय यश्फउ इन्दहू इल्ला बीइज़्निह यअलमु मा बयना अयदिहिम वमा खल्फहूम वला युहीतुना बिशयइम्मीन इलमिहि इल्ला बीमा शाअ वसीआ कुर्शिययुहुस्समावाती वल अर्द वला यउदुहु हिफ्जुहुमा वहुवल अलियुल अज़ीम
सदकल्लाहुल अज़ीम
आयतुल कुर्सी हिन्दी तर्जुमा (अनुवाद)
अल्लाह के नाम से शुरू जो रहमान (दयालु) और रहीम (कृपाशील) है
अल्लाह जिसके सिवा कोई माबूद नहीं| वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है| न उसको ऊंघ आती है न नींद| जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है| कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके| वो उसे भी जनता है जो मख्लूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है| बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे| उसकी ( हुकूमत ) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है| ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं| वह बहुत बलंद और अज़ीम ज़ात है|
आयतुल कुर्सी के फायदे (लाभ)
- अयातुल कुरसी को 70,000 अल्लाह (S.W.T.) के फरिश्ते द्वारा मानव जाति के लिए वितरित किया गया था इसलिए यह बहोत कीमती है
- जब आयतुल कुर्सी कुर्सी को पढ़ा जाता है तब अल्लाह (S.W.T.) आपको सुबह तक शैतान से बचाने के लिए एक फरिश्ते को बनाता है. अल्हम्दुलिल्लाह.
- The verse of The Throne: आयतुल कुर्सी क़ुरआन शरीफ के दूसरे पारे में सुरह अल बक़रह की 255वें आयत है. यह कुरान की सबसे प्रसिद्ध आयत है और संपूर्ण ब्रह्मांड पर अल्लाह (S.W.T) की शक्ति के सशक्त वर्णन के कारण व्यापक रूप से याद और प्रदर्शित किया जाता है.
- हमारे प्यारे पैगंबर मुहम्मद (P.B.U.H.) ने कहा है: “जो भी हर नमाज़ के तुरंत बाद अयातुल कुर्सी पढ़ताहै, उसके और उसके जन्नत में प्रवेश करने के बीच कुछ भी नहीं होगा सिवाए मौत के.
- हज़रत अबू हुरैराह (R.A.) रसुलुल्लाह (P.B.U.H.) की हदीस बताते है, सुरह अल बकरा में आयत है, जो कुरआन शरीफ की मुख्य आयत है. जो कभी इसे घर में पढ़ता है, जहां शैतान है तो वो शैतान वहां से भाग जाएगा.
- हज़रत इब्न मसूद (R.A.) कहते हैं कि एक व्यक्ति ने रसूलल्लाह से निवेदन किया (P.B.U.H.) उसे कुछ सिखाने के लिए जिससे उसे फायदा हो. पैगम्बर (P.B.U.H.) ने कहा: ” आयतुल कुर्सी पढ़ें, यह तुम्हारी, तुम्हारे बच्चे, घर और यहां तक कि आपके घर के आसपास के घर, सबकी रक्षा करेगा.”
- हज़रत इब्न अब्बास (R.A.) ने कहा कि जब रसूलुल्लाह (P.B.U.H.) ने सुरह अल बकराह की अंतिम आयत और आयतुल कुर्सी को पढ़ा तो वो हसे और कहा: “ये अल्लाह(S.W.T.) के खजाने से आए हैं”. शुब्हानअल्लाह
Bismillaah ir-Rahman ir-Raheem
Allahu la illaha illa Huwa, Al Hayyul Qayyum La ta’khudhuhu sinatun wala nawm, Lahu ma fissamawati wa ma fil’ard Man dhalladhiy yeshfa’u indahu illa bi’iznih Ya’lamu ma bayna eydiyhim wa ma khalfahum, wa la yuhiytuna bishey’im-min ilmihi illa bima sha-a wasia kursiyyuhus samavati wal’ard Wa la ya’uduhu hifzuhuma wa hu wal aliyul Azeem
Saddaqallah-hul Azim
Ayatul Kursi English Translation
In the name of Allah, the Beneficent, the Merciful.
Allah! There is no God but He – the Living, The Self-subsisting, Eternal. No slumber can seize Him Nor Sleep. All things in heaven and earth are His. Who could intercede in His presence without His permission? He knows what appears in front of and behind His creatures. Nor can they encompass any knowledge of Him except what he wills. His throne extends over the heavens and the earth, and He feels no fatigue in guarding and preserving them, for He is the Highest and Most Exalted.
Allah, the Most High, speaks the truth.
Benefits of Ayatul Kursi
- Ayatul Kursi was delivered by 70,000 guarding angels of Allah (S.W.T.) to mankind that is how precious it is. Do you have 70,000 friends? Well try and think of how many angels bought forth Ayatul Kursi for us.
- When Ayatul Kursi is recited Allah (S.W.T.) creates a guardian angel to protect you from Shaytaan (devil) until the morning when it should be read again. Alhamdulillah.
- The verse of The Throne: Ayatul Kursi is the 255th verse in the second chapter (surah) of Al-Baqara. It is the most famous verse of the Qur’an and is widely memorized and displayed due to its emphatic description of Allah (S.W.T.)’s power over the entire universe.
- Our beloved Prophet Muhammad (P.B.U.H.) said: “Whoever recites Ayatul Kursi immediately after each prescribed prayer, there will be nothing standing between him and his entering Paradise except death.
- Hadrat Abu Hurairah (R.A.) narrates this hadith from Rasulullah (P.B.U.H.), with the addition that there is an Ayat in surah Al Baqara, which is the chief Ayat of the Qur’an. Who so ever recites it in a house where shaitan is (Devil), he (Shaaitaan) will leave.
- Hadrat Ibne Masood (R.A.) says that a person requested Rasulallaah (P.B.U.H.) to teach him something that will benefit him. The Prophet (P.B.U.H.) said: ” Read Ayatul Kursi, it will protect you, your children, home and even those houses surrounding your house.”
- Hadrat Ibn Abbas (R.A.) said that when Rasulullah (P.B.U.H.) recited the last ayat of surah Baqara and Ayatul Kursi he laughed and said: “these have come from the treasures of Allah)”.
Best times for reciting Ayatul Kursi
There are 8 Best times recommended for reciting Ayatul Kursi
- After Obligatory Prayers
- In Bed: Before Sleeping
- In the Morning before sunrise
- In the Morning during sunrise
- For a Spiritually Disturbed Person
- For a Spiritually Disturbed Home
- In Your Nightmares
- Any Other Time