सलाहुद्दीन अय्यूबी कौन थे ?
क्या आप जानते हैं कि इराक में पैदा होने वाले सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही बैतुलमुक़द्दस को फतह किया था। सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही दुनिया की सबसे आधुनिक सल्तनत की बुनियाद रखी थी। उनके जरिये स्थापित की गई अय्यूबी सल्तनत ने 100 सालों तक आधी दुनिया पर राज किया। इस सल्तनत की सरहदें मिश्र से लेकर सीरिया, तुर्की, यमन, हिजाज़ और अफ्रीका तक फैली हुई थी।
दुनिया में सबसे अधिक अस्पतालों और स्कूलों का निर्माण करने वाला शासक
सलाहुद्दीन अय्यूबी दुनिया का पहला हुक्मरान था जिसने सबसे ज्यादा अस्पतालों और स्कूलों का निर्माण करवाया। उनके जरिये बनाये गए अस्पतालों में दुनिया के सबसे बेहतरीन डॉक्टर काम करते थे। आपको ये जानकर शायद हैरानी हो कि दुनिया का पहला शिक्षा बजट सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही पेश किया था। उन्होंने छात्रों के रहने के लिए हॉस्टल और कैंटीन बनाने की जिस परम्परा की शुरुआत की उसे आज पूरी दुनिया मे इस्तेमाल किया जाता है।
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने कभी जनता का पैसा खुद पर खर्च नहीं किया यहाँ तक कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी रेशमी कपड़े नहीं पहनें । इतनी बड़ी सल्तनत का मालिक होंने के बावजूद सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने अपनी पूरी जिंदगी एक टेंट में गुजार दी।
सलाहुद्दीन अय्यूबी का न्याय
सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी को इतिहास का सबसे न्यायप्रिय बादशाह कहा जाता है। उनके दरबार में हर इंसान को आने की इजाजत थी। सलाहुद्दीन अय्यूबी ने सप्ताह मे दो बार जनता दरबार लगाने की जिस परंपरा की शुरुआत की उसे आज बहुत से देशों में इस्तेमाल किया जाता है। सलाहुद्दीन अय्यूबी की इंसाफपसंदी का ये आलम था कि यहूदी और ईसाई भी अपने फैसलों के लिए उनके दरबार आते थे।
सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी के दौर में मिश्र दुनिया के सबसे अमीर शहरों में से एक था। उनकी हुकूमत में काहिरा और दमिश्क के अस्पतालों में दुनिया भर से लोग इलाज के लिए आते थे। दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक एडलार्ड ने साइंस की शिक्षा मिश्र और सीरिया में ही हासिल की थी।
आपको ये जानकर शायद हैरानी हो कि सलाहुद्दीन अय्यूबी के जरिये स्थापित की गई सल्तनते अय्युबिया में ही आंखों के इलाज पर सबसे ज्यादा रिसर्च की गयी। मोतियाबिंद का सबसे बेहतरीन इलाज मिश्र में ही खोजा गया था।
विज्ञान के क्षेत्र में सलाहुद्दीन अय्यूबी का योगदान
सलाहुद्दीन अय्यूबी की सल्तनत में रहने वाले इब्न अल बैतार ने 300 से अधिक दवाओं की खोज की उसकी लिखी किताब अल मुगन्नी और किताब अल जामी को 17 वी सदी ईस्वी तक ऑक्सफ़ोर्ड जैसी यूनिवर्सिटियों में पढ़ाया जाता रहा।
आपको ये जान कर शायद हैरानी हो कि सलाहुद्दीन अय्यूबी मिश्र और सीरिया के पहले सुल्तान थे। उन्हें इस्लाम का अघोषित खलीफा भी कहा जाता था। बहुत कम लोग जानते हैं कि सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही बैतुलमुक़द्दस को फतेह किया था। उन्होंने ही 1187 ईस्वी में सलीबियों को शिकस्त दे कर मस्जिदे अक़्सा को आज़ाद करवाया था।
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने मस्जिदे अक़्सा कैसे फतह किया
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने मस्जिद-ए-अक़्सा को फतह करने के लिए 16 जंगे लड़ी....वो हर जंग में एक मेहराब अपने साथ रखते थे ताकि जब बैतुलमुक़द्दस फतेह हो तो उस मेहराब को अपने हाथों से मस्जिदे अक़्सा में लगा सकें। 1187 ईस्वी में जब उन्होंने बैतुलमुक़द्दस को फतेह किया तो ये मेहराब उनके हाथों ही मस्जिदे अक़्सा में स्थापित हुआ।
आधी दुनिया पर हुकूमत करने वाले सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी के पास इतना भी पैसा नहीं था कि वो जकात अदा कर सकें। वो अपनी सारी दौलत गरीबों और मिस्कीनों पर खर्च कर देते थे। यही वजह है कि सलाहुद्दीन अय्यूबी कभी हज नहीं कर सके क्योंकि इस्लाम में अपने खुद के पैसे से ही हज किया जा सकता है।
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने दुनिया की सबसे खतरनाक जंगे लड़ी। उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी सलीबी फौज को शिकस्त दी। इस फौज की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें दुनिया भर के 6 लाख ईसाई शामिल हुए थे यहां तक कि यहूदियों का एक बड़ा गिरोह भी सलीबियों की मदद कर रहा था।
नूरुद्दीन जंगी और सलाहुद्दीन अय्यूबी का इतिहास
सलाहुद्दीन अय्यूबी शुरुआती दिनों में नूरुद्दीन जंगी के फौजी कमांडर थे लेकिन 1164 में उन्होंने जब मिश्र को फतह किया तो नूरुद्दीन जंगी ने उन्हें मिश्र का शासक बना दिया गया और फिर सलाहुद्दीन अय्यूबी की सल्तनत का दायरा फैलता ही चला गया। यहां तक कि सऊदी अरब से लेकर इराक, शाम, सूडान, तुर्की और अफ्रीका तक का पूरा इलाका सलाहुद्दीन अय्यूबी के कब्जे में आ गया।
सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने से सलीबियों से लगातार 12 सालों तक जंग लड़ी.....उन्होंने जंगे-हित्तीन में अपने 12000 सिपहियों की मदद से सलीबियों के 63000 लश्कर को ख़ाक में मिला दिया।
सलाहुद्दीन की इंसाफपसंदी के दुश्मन भी कायल थे उन्होंने बैतुलमुक़द्दस को फतेह करते ही ईसाइयों और यहूदियों की माफी का ऐलान कर दिया। उन्होंने ईसाइयों को न सिर्फ बैतुलमुक़द्दस की ज़ियारत की इजाजत दी बल्कि उनके लिए खाने पीने और रहने तक का इंतिज़ाम किया। सलाहुद्दीन अय्यूबी के इस इखलाक से यहूदी और ईसाई इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने इस्लाम कुबूल कर लिया।
सलाहुद्दीन अय्यूबी के होते हुए किसी में मुसलमानों की तरफ आंख उठाने की हिम्मत न थी। यरूशलेम के बादशाह के भाई ने जब मुस्लिम हाजियों के क़ाफ़िलों को लूटा तो सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने सरेआम उसका क़त्ल कर दिया।
सलाहुद्दीन अय्यूबी के जरिये आज़ाद करवाये गए बैतुमुक़द्दस पर मुसलमानों ने 750 साल हुकूमत की लेकिन 1948 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर फिलिस्तीन में एक यहूदी देश इज़राइल की स्थापना कर दी और बैतुलमुक़द्दस के आधे हिस्से पर यहूदियों ने कब्जा कर लिया। 1967 में होने होने वाली अरब और इजराइल जंग में बाकी हिस्सा भी यहूदियों के कब्जे में चला गया।
बैतुलमुक़द्दस मुसलमानों का किब्ला अव्वल था मुसलमान पहले इसी की तरफ मुंह करके नमाज़ पढ़ते थे। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यहीं से मेराज का सफर तय किया था और मस्जिदे अक़्सा में ही तमाम नबियों की इमामत की थी।
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने अपनी पूरी जिंदगी मैदाने-जंग में गुजार दी। उन्होंने सौ से अधिक जंगे लड़ी और ज्यादातर में फतह हासिल की।
इस्लामी इतिहास का हीरो
बहुत कम लोग जानते हैं कि सलाहुद्दीन अय्यूबी हाफिज़-ए-क़ुरआन भी थे। उन्होंने मात्र 15 साल की उम्र में ही क़ुरआन हिफ़्ज़ कर लिया था। सलाहुद्दीन अय्यूबी तकरीत में पैदा हुए थे ये वही शहर था जहां बाद में सद्दाम हुसैन जैसा शेर पैदा हुआ।
सलाहुद्दीन अय्यूबी को इस्लामी इतिहास का हीरो कहा जाता है। मुसलमान सलाहुद्दीन अय्यूबी को आज भी इज्जत की नज़रों से देखते हैं।
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