आज के मुसलमान के हालात और उसकी वजह || by IMTIYAZ KOTHARIYA

 अस्सलामु अलैकुम



    जब अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम को बनाया तब वहा मौजूद फरिस्तो ने कहा की " ए अल्लाह हम तेरी इबादत करते हे, तू कहता हे तो हम सजदा में जाते हे, तू कहता हे तो रुकुह में रहते, तेरी हमद गाते हे, तो तू आखिर इन्सान को क्यों बना रहा हे, ये जमीं पे जाकर दंगा, फसाद, जगडा करेंगे, तेरी नाफ़रमानी करेंगे तुजसे धोका करेंगे."  तब शैतान ने भी अल्अलाह की नाफ़रमानी  करते हुए हजरत आदम अलैहिस्सलाम के सामने सजदा करने से मना करदिया और बोला की मुझे क़यामत तक की मूलत दी जाये ताकि में इंसानों को गुनाह में मुबतला करवा सकू, अल्लाह ने फ़रमाया मेरे बन्दे जो मुजपर पक्का इमान रखेंगे वो तेरे झांसे में नहीं आएँगे.  


    अल्लाह ने कुरआन शरीफ में फ़रमाया मेने इन्सान और जिन्नात को सिर्फ अपनी इबादत के लिए पैदा किया हे, जब आदम अलैहिस्सलाम दुनिया में आए तब से इंसानों की नस्ल चली हे, आदम अलैहिस्सलाम के कई सारे बेटे थे उनमे से हाबिल और काबिल  नाम के दो लड़के थे, काबिल को हाबिल से नफरत गुई, जहा से इन्सान को इन्सान से नफरत की शुरुआत मानी जाती हे. हाबिल ने काबिल का क़त्ल किया था. 


    खैर वो किस्सा बड़ा लम्बा हे , कहने का मतलब वहासे लेकर क़यामत तक एक इन्सान को दुसरे से बुग्ज़, किना, जलन रहेगी, इसका मतलब ये नहीं की हर इन्सान एसा होगा लेकिन ज्यादातर लोग इसे पाए जाते हे, साँस को बहु से नफरत हे, बहु को साँस से, किसी को अपने पडोसी से नफरत हे किसी को अपने रिश्तेदारों से, किसी को हुक्मरानों से नफरत हे किसी को आवाम से, हालाकी  ये सब क़यामत की अलामत मे से हे,


      आका ताजदारे मदीना मुहम्मद मुस्तुफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जबसे इस्लाम की दावत देनी शुरू की तब से उनको नफरत करने वाले शुरू हो गए. लेकिन आप ने कभी किसी से दुश्मनी या नफरत नहीं रखी, हत्ता की अपने चाचा हमजा रदी. का कच्चा दिल चबाने वाली हिन्दा से भी उन्हों ने नफरत नहीं रखी.और उन्हों ने अपनी उम्मत को भी यही तालीम दी की कभी किसी से नफरत, किना, बुग्ज़, दुश्मनी न रखे. 


    आज हम देखते हे की हुजुर की उम्मत आपस में बाटी हुई हे, कोई कह रहा हे शिया गलत हे, कोई कह रहा हे सुन्नी गलत हे, कोई कह रहा हे तबलीगी गलत हे, मेरे आका ने अपने पीछे उम्मत छोड़ी थी, पता नहीं ये शिया,सुन्नी कहा से आ गया, हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत हे, छोडो ये शिया सुन्नी , हम सब एक हे, जब तक हम एक नहीं होंगे तब तक हम पर हालत आते रहेंगे, दूसरी कौमे हम पर कीचड़ उछालती रहेंगी, हमको बदनाम करने ही हर मुमकिन कोशिशे की जाएंगी. 


    आए दिन हम देखते रहते हे की मिडल ईस्ट में अमेरिका, इसराइल  या दुसरे मुल्क हमला करके मासूम और बेगुनाह मुसलमानों को मारती रहती हे, और दुसरे मुल्क जो मुसलमानों को सताते रहते हे और मुसलमानों को हर मुमकिन तकलीफ पहुचाते हे उनको वो लोग सपोर्ट करते हे, इसमें उनकी गलती नहीं गलती हमारी हे, हमने एक दुसरे को फिरको में बाँट दिया, पानी तक पिलाने के लिए तैयार नहीं, जब एक दुसरे सामने मिलते हे तो सामने तक नहीं देखते, हमने एक दुसरे को सलाम भी करना बांध कर दिया. 


    अभी भी वक्त हे, आओ हम सब तौबा करे , अल्लाह से माफ़ी तलब करे. अल्लाह से दुआ करे की सरे मुस्लमान के अन्दर जोड़ अता फरमाए. हम सब एक दुसरे के साथ भाईचारे से रहे, एक दुसरे की फ़िक्र करे, सलाम को हमारे बिच आम करे, गाली गलोच बिलकुल भी ना करे. दिन के सभी हुक्म को हम अदा करने वाले बने.




मेरे इस ब्लॉग से किसीके दिल को ठेस पहुची हो तो में दिलसे माफ़ी मांगता हु, मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओ को ठेस पहोचाना नहीं पर आप तक सच पहुचाना था, अगर कोई भूल हुई हो तो अपना छोटा भाई समजकर माफ़ कर देना.

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